राजेंद्र तिवारी दर्द के हर सिंगार जिन्दा रख जब ख़ुशी के मिलने पर भी ख़ुशी नहीं होती क़त्ल हो जाने का एहसान कर की छोर दिया सिर्फ रफ़्तार है रास्ते पर नजर है ही नहीं नहीं आया है मौका आ गया तो रवायतों की हदों से निकल कर देख मोहब्बत हो राजा है इसमें मनमानी नहीं होती लब्ज़ों पे नहीं जाओ महशूस करो भाई मुफ़लिश की सदाओं सा सुनाई नहीं देते जिंदगी में यूँ तो दुस्वारी बहुत है
दिल शाहजहांपुरी जिसको कूचे से तेरे होके गुज़रते देखा बफ़ा का उसमे भी ज़ज्बा दिखाई देता है खवाबों का पूरी गॉव बसाने के शौख में
पंडित प्रेम बरेलवी भरोसा तोड़ने वाले भरोसा दे रहे हैं झूठे लोगों से टकराना मुश्किल है कौन लेगा खबर भी फूल है तो
खुमार देहलवी कचरे में इश्क़ ढूंढ़ते बच्चे ज़मीन पर वो हमें हम उन्हें आजमाते रहे वही बेबात के झगड़े बहुत हैं हमारे बाद मचानो का जाने क्या होगा हम दिल से मजबूर बहुत हैं
अजय सहाब वो माहताब खुसबू से भर गया ताज़ा हवा के वास्ते खिरकी न बन सका मेरे अंदर जो एक फकीरी है जब भी मिलते हैं जीने की दुआ देते हैं वही है कत्ल ग़ारत सोचता हूँ ये जमीं किसकी वतन किसका है मेरे जख्मो मेरी रुसबाई वापस ले ले सब है फ़ानी यंहा संसार में दिल को हर एक सक्श से तो प्यार नहीं हो सकता
सरफ़राज़ शाकिर मौजे बहार आई हुआ मेरे बस में क्या सूख जायेगा समंदर देखना अंधी गहरी गुफाएं बस्ती में और तो कुछ भी नहीं होना है बिगड़ते बनते लम्हों की तरह हूँ पतझर की रुत पर हंस पारी नगर का नगर ही बसा है मुझमे यहाँ तुम आही गई हो धूप खुशबू हवा इकठ्ठी कर कहानी जो बचपन में कहती थी दादी
चंदर वाहिद समय कुम्हार है जो जानके नाचता है वो देखने में रस्ते का पत्थर सिर्फ पत्थर हूँ जो ठोकर से उछाले मुझको तुमने जीने की जो दुआ दी है टिम टिमटा हुआ दिया हूँ मैं टूट कर मैंने जिसको चाहा था
डॉ कृष्णकुमार नाज़ संभल कर रह में चलना वही पत्थर सिखाता है उसका गुरूर सारी हदें पर कर गया इतना सा लेखा जोखा है जीवन की अलमारी में है अपने हश्र से वाकिफ हर एक परवाना अब तो बस दिल को बहरहाल हर वक्त हूँ किसी न किसी इंतिहान में जेहन की आवारगी को इस कदर प्यारा हूँ मैं कभी अँधेरे कभी रौशनी में आते हुए में फैसलों के बीच में जो सोच की दिवार है जो पेड़ सबको कड़ी धूप से बचता है
अंसार क़म्बरी यहाँ कोई भी सच्ची बात अब मानी जाती जहाँ पर आपका आभास होगा मुझ पे वो मेह्रबान है शायद आप कहते हैं दूषित है वातावरण हमसे मत पूछिये अब किधर जाएंगे
Parvez Muzaffar उस को मरना है रख रखाव के साथ आइये तीर चलाने के लिए तब्लीग़ इत्तेहाद की क़लम गुनगुनाता है उँगलियाँ फ़िगार अपनी फ़िक्र ले कर गिलास बैठी है
अजय अज्ञात हसरतों में ज़रा कमी कर ली वक़्त के साथ किसी राह से होता हुआ आसान सफ़र देख रहा हूँ ऐ काश कोई अपना भी सदमात हिज्र-ए-के यार के
प्रमोद शर्मा असर हर सू तेरी ख़ुशबू है ना छुपा कर अपनी करतूतें न बिसात छोड़ी ये जानकर मैं जो तुझसे मिला नहीं होता अपनी करनी का फ़क़त इनको सिला
माधुरी स्वर्णकार छलता रहा जो मुझको नदी शायद कोई ओझल है मुझमे जवाब उनसे सवालों का जब दिया न गया कहीं शमियाने बदलते रहे
ग़ज़ाला तबस्सुम हसीन ख़्वाब-सा मंज़र दिखाई देता है लिपटे हैं मुझसे यादों के कुछ तार और मैं फूट दिलों में डाले कौन कशमकश के किसी जाले में डाले मुझको यादें तुम्हारी फेंक दूँ कैसे निकल कर कहने को तो गली गली में
डॉ नलिनी विभा शेर आराई यूँ है जैसे सुर भरना शहनाई में अगर वो होता मुझे खुशनुमा सफ़र देता ये अनासिर से बना त्तन का मकां कुछ भी नहीं रास्ता ग़म के सिवा दूजा न था औरत थी क़त्ल हो गई वो ख़ामुशी के साथ ज़ख्म दे दे के मुझे उनकी दवा देता रहा वो इम्तेहान में यूँ हमको डाल देता है हमारी ख़ाक ठिकाना कहीं तो पाएगी ज़ीस्त पर दहशतों का साया है मौसम सर्द हवाओं का नोंक-ए-मिज़गां पे न यूँ
प्रो परमानंद शर्मा जब तुम न नज़र आये एक सपना था ख़्वाब थे वो दिन नफ़स बेताब होता जा रहा है हमारा ज़िक्र और उनकी ज़बाँ तक ख़ुदा के घर से बुलवाया गया हूँ अजब टीस है उस मुलाक़ात की किसी को दे के दिल मैंने मुहब्बत का मज़ा पाया याँ तही दामनी का शिक़्वा है नक्श तो हूँ मैं नक़्श-ए -पा ही सही सब्र के एक दो जज़ीरे बचे
सीमाब सुल्तानपुरी तेरी आवाज़ से आवाज़ मिला दी हमने यह जहाँ इस क़दर उदास न था दिन हँस के जो न गुज़रे कुछ ऐतमाद है अपने पे इस क़दर मुझको जान मेरी तो मेरी जान में है खो गई होगी कहीं मेरी नज़र का क्या है
पवनेन्द्र पवन तुला है लूटने को आबरू बदमाश पर्वत की जीवन के निर्माण का हर औज़ार भूख से लड़ते रोज़ लड़ाई माँ का पेट जाले बूटे घास व हर पत्थर पर घूमती है दर ब दर ले कर पटारी ज़िन्दगी
Aradhana Prasad सिर्फ़ उम्मीद पर टिकी मिट्टी ऐसी देखी न थीं कभी आँखें झील पर यूँ चमक रही है धूप ये बता ऐ ग़म कि अच्छा कौन है तड़प रहा है दिल बेक़रार मुद्दत से
Dinesh Dadhichi रुकना न चलने वाले प्यार का इज़हार जब मैंने किया यूँ अतीत का बोझा ढ़ोना कुछ तो जुवां से बोलो सारे अल्फ़ाज़ दबा के
Vijay Swarnkar नारेबाजों में गूंगे गम जैसे सोच सोच के करते हैं ख़ुदकुशी पत्थर न कोई तीर है पंछी न कोई जाल रक्खा है अजनबी हो गए हैं दरवाजे सांचे में न ढलने का हुनर सिख रहा हूँ कट चूका जंगल मगर जिद पर
ABHAY AZAD CHAKRAVATRY \'KAABIL\' हसीन ख़्वाब-सा मंज़र दिखाई देता है लिपटे हैं मुझसे यादों के कुछ तार और मैं मेरी उल्फ़त का उसे अब तलक दीवान-ए -य़ार हो गए एहसाह तो होगा कुत्ता बना देती है चाह कर उसको कोई गुनाह कर बैठे फिर इक बार धोखा दे बंज़र रात में सूरजदिन में चाँद की फ़रमाइश हिकायत शायर ख़ुद नहीं बनते बनाए जाते हैं भूल नहीं पाया मै अबतक
Nakul Gautam Der kal daftar se nikla thi gali Dihadiyan gulam ho ke rah ishtiharon ne hi akhbaar samhale hue hain khuda meri qalm ko door hi rakhna siyaast se mez ke neeche fate kaagaz teri haan me haan n mila saka ummid kaagzon ne lagai hui to hai zikr hota hai magar aqsar tera der tak
Swapnil Tiwari swapnil-tiwari 01 swapnil-tiwari 02 swapnil-tiwari 03 swapnil-tiwari 04 swapnil-tiwari 05
Pratap Somvanshi pratap somvanshi 01 pratap somvanshi 02 pratap somvanshi 03 pratap somvanshi 04 pratap somvanshi 05 pratap somvanshi 06
PRAKHAR MALVIYA KANHA PRAKHAR MALVIYA KANHA 01 PRAKHAR MALVIYA KANHA 02 PRAKHAR MALVIYA KANHA03 PRAKHAR MALVIYA KANHA 04 PRAKHAR MALVIYA KANHA 05
Harkirat Haqeer Ye Kaise Pathar Hain Pathar Hoti Mohabbat Mujhe Dar Sata Raha Hai Mat Pooch Ye Nadan Dil Maa Bolti To Kahi Kafan Me Sila Khat Jab Tum Laut Jaoge Hamesha Chahton Ke Silsile
Ibrahim Ashq Uski Ek Duniya Thes Jab Dil Pe Lagi Tanhai Meri Nazm Dohe Aur Rubaiyan Chahte Roz Machalti Hain Bikharte Tootte Deewaro Dar Bachpan Akele Ranj Me Doobe
Navneet Sharma Bina Roye Guzarna Us Gali Se Khud Se Usne Nijaat Pa Li Hai Mai Bhi Joojha Hoon Hava Se Dard Ek Darjaa Mile Raste Se Gaye Hataaye Hum
Rajeev Bharol Bulandiyon Se Hamen Yun Kahin Chaukhat Kahin Chhappar Kisi Soorat Ghame Dil Kaa Madava Muhabbat Kaa Kabhi Izhaar Pada Hua Jo Ye Paani Mein Jaal Teri Khushboo Fizaaon Mein Tum Ho Bahti Tez Nadiya Tumhari Soch Ke Saanche Mein
Dixit Dankauri Ae Ghazal Chahta Hoon Zakhm Ye Ye Karishma Vo Nazron Ko Saans Jati Hai Charag-e-Mohabbat Dil Me Kisi Ko Tera Haye Satana Vo Dava To Dava Mai Tera To Nahi Aag Seene Me Chaand Tare Nav Ko Har Bala Meri Ghazal
Ambar Kharbanda Aaj Tauba Ko Aazmana Hai Jahan Mein Har Bashar Majboor Ho Mushkil Ko Samajhne Ka Qataat Utho Bahar Ka Mausam Waqt Kahta Hai
Irshad Khan Sikandar Zameene Aasama Roshani ke Shahar Meri Ghazalon Me Masayal Hal Na Honge Kagaz Pe Dil Ke Dilo Nazar Bekhudi Kuch Is qadar Azan Aankhon Ki Dahleez
Tufail Chaturvedi Wo Haqeqat Hai Usko Pane Ki Talab me Kuch Is Tarha Bhi Koi Jhonka Nahi Hai Kisi Bhi Jheel Hawa Ko Rukh Dilon Ke Zahar Ko Aahat Hamari
Pramod Kumar "Kush" Teri baaton se muhabbat Ye tadap ye lagi chhodiye Hawaa bhi aaj kuchh Aawaz hamne dee hai Ik Chaand Ki Talaash Mein De Raha Awaz Koi Palat Kar Dekhna Yu Hi Chalte
Rohit Rusia Samvedanayen Toote Hue Ghar Sookhti Ankhon Ki Palken Ab Nahi Ati Kisi Ki Abke Din Beet Rahe Tumhari Yaad To Ek Panchhi Dhoondhta Hai
Satish Shukla "Raqeeb" Tata Nano Pareshan Hai Mera Dil Hava Ke Dosh Pe Chahte Hain Ab Bhula Den Guzri Hai Raat Kaise Shahide Vatan Ka Hota Nahi Hai Pyar Bhi Dilo Me Phir Vo Pehle Si
Atal Bihari Vajpayee Aaj Sindhu Mein Jwaar Utha Hai gagan_me Kadam Mila Kar Chalna Hoga geeta_naya_gata_hoo Koti Charan Badh rahe dhey Ki Or Nirantar Amar Aag Hai Bharat Mata Ka Shish Kata jata ha Mastak Nahi Jukega
Divik Ramesh Recorded kavita Pankh Dollu Aakhir jo Bach Gaya Chiriya ka byaah Bhugol Ke Mamuli manch se
Kavita Kiran wo zafar Meer o Galib ki Gazal-si ladki Guzro naa bas kareeb se khayal ki tarah Kavita Kiran Aaina Nahin Sakun Kisi Ki Judai
Dr. Kavita Vachaknavee Track 2 Track 3 Umrkaid-kal Jallaad Hai Mai Chal to doon Kandhon Par Sooraj(Vaasanti Noopur) Maa Bhudi Hai Roti kab tak pruthvi dikhlawe
Dr. Surjit Patar Track 06 Track 07 Track 09 Track 10 Track 11 Tere Viyog Nu Track 01 Track 02 Track 03 Track 04 Track 05
Lata Haya Track 06 Track 07 Track 08 Track 09 Track 10 Track 11 Track 12 Track 01 Track 02 Track 03 Track 04 Track 05
Dev Mani Pandey Khwab Suhane Ab Khwabo mein Dil Ne Chaha Bahut Doob Chuke Kitne Apni Bhi Ginti Is Jahan Mein Jo Insaan badnaam Basera Har Taraf Naam Mera Liya Tha Milan Ki Rut Suhani Sabse Dil Ka Haal Kabhi Akele Mein